क्या हाई डिलीवरी वॉल्यूम सचमुच बुल रन का इशारा है? गहराई से समझें!

By Amardeep Singh

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शेयर बाजार की दुनिया में निवेश और ट्रेडिंग के फैसले लेने के लिए विभिन्न संकेतों और मैट्रिक्स का विश्लेषण किया जाता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण संकेतक है डिलिवरी वॉल्यूम। निवेशक और ट्रेडर अक्सर यह जानने की कोशिश करते हैं कि क्या बढ़ता हुआ डिलीवरी वॉल्यूम आगामी बुल रन यानी बाजार में तेज़ी का संकेत दे सकता है। यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में आता है जो बाजार की चाल को समझना चाहता है।

तो, क्या हाई डिलिवरी वॉल्यूम वाकई बुल रन का संकेत है? हाँ, हाई डिलिवरी वॉल्यूम को अक्सर बुल रन के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जाता है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि खरीदार शेयरों को वास्तविक रूप से खरीद रहे हैं और उन्हें अपने पोर्टफोलियो में लंबी अवधि के लिए रखना चाहते हैं। इससे शेयरों की कीमतों में स्थिरता और संभावित रूप से तेज़ बढ़ोतरी की संभावना बढ़ जाती है। आइए, इस अवधारणा को विस्तार से समझते हैं।

डिलिवरी वॉल्यूम क्या होता है?

शेयर बाजार में जब आप कोई शेयर खरीदते या बेचते हैं, तो वह एक ट्रेड होता है। लेकिन हर ट्रेड का मकसद एक जैसा नहीं होता। कुछ ट्रेडर बहुत कम समय के लिए शेयर खरीदते-बेचते हैं, जिसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं। वहीं, कुछ निवेशक शेयरों को लंबे समय के लिए अपने पास रखते हैं।

डिलिवरी वॉल्यूम उस मात्रा को दर्शाता है जो खरीदे गए स्टॉक्स की होल्डिंग के लिए डिलीवर की जाती है। इसका मतलब है कि निवेशक इन शेयरों को अपने डीमैट खाते में रखते हैं। वे उन्हें तुरंत बेचने का इरादा नहीं रखते। यह कुल ट्रेड वॉल्यूम का एक हिस्सा होता है। इसे “डिलीवरी क्वांटिटी” भी कहते हैं।

सरल शब्दों में, जब आप इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं, तो आप उसी दिन शेयर खरीदते और बेच देते हैं। लेकिन जब आप डिलीवरी लेते हैं, तो शेयर आपके डीमैट खाते में आते हैं। आप उन्हें अपनी पसंद के अनुसार लंबे समय तक होल्ड कर सकते हैं। यह दर्शाता है कि आपने शेयर को स्थायी रूप से खरीदा है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी कंपनी के 1,00,000 शेयर ट्रेड हुए हैं, और उनमें से 60,000 शेयर डीमैट खातों में डिलीवर किए गए हैं, तो डिलीवरी वॉल्यूम 60,000 होगा। बाकी 40,000 शेयर इंट्राडे ट्रेडिंग में खरीदे-बेचे गए होंगे।

क्यों महत्वपूर्ण है डिलीवरी वॉल्यूम?

डिलीवरी वॉल्यूम बाजार में निवेशकों की भावना और इरादे को दर्शाता है। यह सिर्फ एक संख्या नहीं है। यह बताता है कि कितने लोग किसी स्टॉक पर विश्वास कर रहे हैं। वे उसे अपने पास रखना चाहते हैं। यह एक स्टॉक में वास्तविक निवेश को दर्शाता है। यह सिर्फ सट्टा व्यापार नहीं है। एक उच्च डिलीवरी वॉल्यूम अक्सर मजबूत विश्वास का संकेत देता है। यह बाजार की गहराई को भी बताता है।

हाई डिलिवरी वॉल्यूम का क्या मतलब है?

जब किसी स्टॉक का डिलिवरी वॉल्यूम कुल ट्रेड वॉल्यूम के उच्च प्रतिशत तक पहुंचता है, जैसे कि 50% से ऊपर, तो इसका एक खास मतलब होता है। इसका सीधा सा अर्थ है कि खरीदार अपने शेयर को लंबी अवधि के लिए खरीद रहे हैं। वे कंपनी के भविष्य को लेकर आशावादी हैं। यह एक मजबूत संकेत है।

इस स्थिति में, बाजार में खरीदारी की मजबूती बढ़ती है। यह खरीदारी शेयरों की कीमतों पर सकारात्मक दबाव डालती है। यह संभावित बुल रन की शुरुआत का संकेत दे सकती है। जब लोग शेयर खरीदते हैं और उन्हें बेचते नहीं हैं, तो बाजार में आपूर्ति कम हो जाती है। मांग बढ़ने पर कीमतें ऊपर जाती हैं।

वहीं, उच्च वॉल्यूम खुद स्टॉक की कीमत में भरोसे की पुष्टि करता है। यह विशेष रूप से तब होता है जब प्राइस ब्रेकआउट भी हो रहा हो। प्राइस ब्रेकआउट तब होता है जब कोई स्टॉक अपने पिछले प्रतिरोध स्तर (resistance level) को तोड़कर ऊपर निकलता है। अगर यह ब्रेकआउट उच्च डिलीवरी वॉल्यूम के साथ हो, तो यह और भी विश्वसनीय माना जाता है। यह बताता है कि बड़ी संख्या में निवेशक इस बढ़त को स्थायी मान रहे हैं।

मान लीजिए कि एक कंपनी का शेयर कुछ समय से ₹100 के आसपास ट्रेड कर रहा था। अचानक, वह ₹105 पर चला जाता है और ऐसा बहुत भारी डिलीवरी वॉल्यूम के साथ होता है। यह दर्शाता है कि निवेशक अब इस शेयर को ₹100 से ऊपर के मूल्य पर भी खरीदने को तैयार हैं। वे इसे होल्ड करना चाहते हैं। यह एक मजबूत बुलिश संकेत है।

निवेशकों के लिए इसका क्या अर्थ है?

  • विश्वास का संकेत: उच्च डिलीवरी वॉल्यूम दिखाता है कि निवेशक स्टॉक में दीर्घकालिक विश्वास रखते हैं।
  • सट्टेबाजी में कमी: यह दर्शाता है कि बाजार में सट्टेबाजी के बजाय वास्तविक निवेश हो रहा है।
  • स्थिरता: ऐसे शेयरों में आमतौर पर कम अस्थिरता देखी जा सकती है।
  • पूंजी प्रवाह: यह कंपनी में नई पूंजी के प्रवाह को इंगित करता है।

मुझे याद है एक बार मेरे एक मित्र ने बताया था कि वह केवल उन्हीं शेयरों में निवेश करता है जहां डिलीवरी वॉल्यूम लगातार 60% से ऊपर रहता है। उनका मानना था कि यह शेयर की बुनियाद (fundamentals) और भविष्य की संभावनाओं पर निवेशकों के गहरे भरोसे का प्रतीक है। हालांकि यह एक व्यक्तिगत रणनीति है, यह डिलीवरी वॉल्यूम के महत्व को दर्शाता है।

हाई डिलिवरी वॉल्यूम बुल रन के संकेत क्यों हैं?

डिलिवरी वॉल्यूम को बुल रन का एक मजबूत संकेत मानने के पीछे कई ठोस कारण हैं। ये कारण बाजार के कामकाज और निवेशकों के मनोविज्ञान से जुड़े हुए हैं।

  1. ट्रेंड की पुष्टि (Trend Confirmation):

    यदि स्टॉक प्राइस ब्रेकआउट के साथ ही हाई डिलिवरी वॉल्यूम दिखा रहा है, तो यह दर्शाता है कि बाजार में खरीदारी मजबूत है। यह बुलिश मूड हावी होने का प्रमाण है। जब कोई स्टॉक एक महत्वपूर्ण रेजिस्टेंस लेवल को पार करता है, तो यह एक महत्वपूर्ण घटना होती है। अगर ऐसा सिर्फ सट्टेबाजों द्वारा किया गया होता, तो डिलीवरी वॉल्यूम कम रहता। लेकिन अगर इसके साथ उच्च डिलीवरी होती है, तो यह बताता है कि स्थायी निवेशक भी इस ब्रेकआउट का समर्थन कर रहे हैं। वे इस बढ़ी हुई कीमत पर भी शेयर खरीदने को तैयार हैं। यह ट्रेंड की विश्वसनीयता को बढ़ाता है। यह एक नए अपट्रेंड की शुरुआत का संकेत हो सकता है।

  2. बड़ी हाउसहोल्ड में खरीदारी (Significant Household Buying):

    हाई डिलिवरी बताती है कि शेयर ट्रांसफर होकर निवेशकों के पास स्थायी रूप से जा रहे हैं। ये निवेशक अक्सर व्यक्तिगत या संस्थागत होते हैं जो दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखते हैं। वे सिर्फ कुछ घंटों या दिनों के लिए शेयर नहीं खरीद रहे हैं। वे उन्हें महीनों या सालों तक अपने पास रखने का इरादा रखते हैं। यह बाजार की मजबूती का सूचक है। जब ऐसे निवेशक सक्रिय होते हैं, तो वे शेयर बाजार में एक स्थिर आधार प्रदान करते हैं। यह बाजार में विश्वास पैदा करता है और बुल रन के लिए आवश्यक नींव रखता है। कल्पना कीजिए कि बाजार में एक नया घर खरीदने वाला परिवार आता है और उन्हें घर पसंद आता है, वे उसे खरीदते हैं और वहां हमेशा के लिए बसने का इरादा रखते हैं, न कि बस एक दिन के लिए देखने आते हैं। यह बाजार को मजबूत बनाता है।

  3. भरोसेमंद प्राइस एक्टिविटी (Reliable Price Activity):

    जब कीमतें बढ़ रही हों और डिलिवरी वॉल्यूम भी साथ-साथ बढ़े, तो यह बुल रन में निरंतरता की पुष्टि करता है। यह एक सामंजस्यपूर्ण संबंध है। अगर कीमतें बढ़ रही हैं लेकिन डिलीवरी वॉल्यूम कम है, तो यह वृद्धि अस्थायी हो सकती है। इसे ‘कमजोर हाथों’ द्वारा की गई खरीदारी माना जा सकता है। ऐसे ट्रेडर थोड़ी सी भी गिरावट पर शेयर बेच सकते हैं। लेकिन उच्च डिलीवरी वॉल्यूम के साथ मूल्य वृद्धि से पता चलता है कि यह खरीदारी ‘मजबूत हाथों’ द्वारा की जा रही है। ऐसे निवेशक बाजार की छोटी-मोटी उथल-पुथल से आसानी से प्रभावित नहीं होते। वे अपनी होल्डिंग बनाए रखते हैं। यह बुल रन को अधिक टिकाऊ और विश्वसनीय बनाता है।

उदाहरण और व्यावहारिक दृष्टिकोण

डिलिवरी वॉल्यूम को समझना और उसका उपयोग करना आसान लग सकता है, लेकिन इसके लिए अभ्यास और अन्य संकेतकों के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता होती है।

एक YouTube वीडियो में बताया गया है कि अगर कोई स्टॉक रेजिस्टेंस लेवल के ऊपर ट्रेड कर रहा है और उसके साथ 60% से ऊपर डिलिवरी वॉल्यूम हो रहा हो, तो यह एक स्पष्ट बुलिश सिग्नल है। इसका मतलब है कि सिर्फ इंट्राडे ट्रेडर ही नहीं, बल्कि लंबी अवधि के निवेशक भी इस स्टॉक को खरीद रहे हैं। यह स्थिति उस स्टॉक के लिए एक मजबूत अपट्रेंड की संभावना बढ़ा देती है। मान लीजिए कि एक कंपनी ‘X’ का शेयर ₹500 पर बार-बार रुक रहा था। एक दिन यह ₹510 पर बंद होता है, और उस दिन का डिलीवरी वॉल्यूम 65% होता है। यह एक मजबूत संकेत है कि शेयर ऊपर की ओर जा सकता है।

Zerodha Varsity, जो कि एक प्रसिद्ध वित्तीय शिक्षा मंच है, के अनुसार, कैंडलस्टिक्स, सपोर्ट और रेजिस्टेंस, और वॉल्यूम को मिलाकर ध्यान से ट्रेडिंग करनी चाहिए। केवल एक संकेतक पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। हाई वॉल्यूम के साथ प्राइस पैटर्न की पुष्टि, जैसे कि बुलिश एनग्ल्फिंग पैटर्न (Bullish Engulfing Pattern), स्थिरता देता है। एक बुलिश एनग्ल्फिंग पैटर्न तब बनता है जब एक बड़ी हरी कैंडल पिछली छोटी लाल कैंडल को पूरी तरह से ढक लेती है। अगर यह पैटर्न उच्च डिलीवरी वॉल्यूम के साथ बनता है, तो यह बाजार में मजबूत खरीदारी का संकेत है।

अपने विश्लेषण को कैसे मजबूत करें:

  • सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल: इन स्तरों को हमेशा ध्यान में रखें। उच्च डिलीवरी वॉल्यूम के साथ रेजिस्टेंस का टूटना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
  • कैंडलस्टिक पैटर्न: बुलिश कैंडलस्टिक पैटर्न, जैसे हैमर या इनवर्टेड हैमर, को उच्च डिलीवरी वॉल्यूम के साथ देखना एक मजबूत संकेत हो सकता है।
  • मूविंग एवरेज: स्टॉक की कीमत 50-दिवसीय या 200-दिवसीय मूविंग एवरेज से ऊपर ट्रेड कर रही है या नहीं, यह देखें। उच्च डिलीवरी वॉल्यूम के साथ मूविंग एवरेज के ऊपर रहना बुलिश है।
  • रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI): RSI ओवरसोल्ड (oversold) स्थिति से ऊपर आ रहा है और उच्च डिलीवरी वॉल्यूम के साथ है, तो यह भी सकारात्मक संकेत हो सकता है।

यह सब एक साथ देखना एक निवेश रणनीति को मजबूत बनाता है। एक अच्छी तरह से रिसर्च की गई निवेश रणनीति आपको बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है।

आप नीचे दिए गए वीडियो में डिलीवरी वॉल्यूम और बाजार संकेतों के बारे में अधिक जानकारी देख सकते हैं:

(छवि सुझाव: यहाँ एक ग्राफ़िकल प्रतिनिधित्व शामिल किया जा सकता है जो स्टॉक की कीमत और डिलीवरी वॉल्यूम को एक साथ दिखाता हो, जिसमें एक बुलिश ब्रेकआउट उच्च डिलीवरी वॉल्यूम के साथ दिखाया गया हो।)

भविष्य का परिप्रेक्ष्य और सावधानी

यह समझना महत्वपूर्ण है कि हर हाई वॉल्यूम बुल रन नहीं होता। शेयर बाजार में कोई भी संकेतक 100% सटीक नहीं होता। कभी-कभी ‘फेक ब्रेकआउट’ भी हो सकता है, जहाँ कीमतें थोड़ी देर के लिए बढ़ती हैं और फिर गिर जाती हैं। इसलिए, केवल डिलीवरी वॉल्यूम पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है।

निवेशकों को हमेशा डिलीवरी वॉल्यूम के साथ अन्य तकनीकी संकेतकों (जैसे प्राइस पैटर्न्स, सपोर्ट-रेजिस्टेंस, आरएसआई, मूविंग एवरेज) को भी चेक करना जरूरी है। बाजार की समग्र स्थिति, प्रमुख आर्थिक समाचार (जैसे ब्याज दरों में बदलाव, जीडीपी डेटा), और उद्योग-विशिष्ट खबरें भी किसी

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Amardeep Singh

मेरा नाम रवि सिंह है, मैं एक कंटेंट राइटर के तौर पर काम करता हूँ और मुझे लेख लिखना बहुत पसंद है। 4 साल के ब्लॉगिंग अनुभव के साथ मैं हमेशा दूसरों को प्रेरित करने और उन्हें सफल ब्लॉगर बनाने के लिए ज्ञान साझा करने के लिए तैयार रहता हूँ।

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